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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 10 पांडवों की रक्षा

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 10 पांडवों की रक्षा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 10

प्रश्न 1.
युधिष्ठिर ने अपनी माँ व भाइयों को लाख के भवन में किस प्रकार रहने के लिए कहा?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने अपनी माँ व भाईयों से कहा कि हमें यहाँ सावधानी पूर्वक रहना है। पुरोचन को इस बात का जरा भी पता न चले कि उसके षड्यंत्र का भेद हम पर खुल गया है। मौका पाते ही हमें यहाँ से निकल जाना होगा। हमें जल्दी में कोई ऐसा काम नहीं करना, जिससे शत्रु के मन में जरा भी संदेह उत्पन्न होने की संभावना हो।

प्रश्न 2.
पांडवों ने लाख के महल से निकलने के लिए क्या उपाय किया ?
उत्तर:
पांडवों के पास विदुर ने एक कारीगर भेजा जिसको सुरंग खोदने में महारथ हासिल थी। उसने बड़ी सावधानी से बाहर निकलने का रास्ता बना दिया। कार्य इतने गुप्त तरीके से हुआ कि पुरोचन को इसकी तनिक भी भनक न लगने पाई।

प्रश्न 3.
पुरोचन के लाख के घर में आग लगाने से पूर्व ही पांडवों ने क्या किया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर पुरोचन के रंग-ढंग से ताड़ गए थे कि अब क्या करना है। युधिष्ठिर ने अपनी माता से कहकर एक भोज का आयोजन किया। सभी नगरवासी इस भोज में सम्मिलित हुए। जब सभी खा-पीकर सो गए तो भीम ने भवन में कई जगह आग लगा दी। पाँचों भाई माता कंती के साथ सुरंग के रास्ते से बाहर निकल गए। आग की लपटों में पुरोचन का मकान भी जल गया।

प्रश्न 4.
पांडवों तथा कुंती की मत्यु का समाचार हस्तिनापुर पहुँचने पर क्या प्रतिक्रियाएँ हुईं ?
उत्तर:
धृतराष्ट्र और उसके पुत्रों ने पांडवों की मृत्यु पर बड़ा शोक मनाया। गंगा-किनारे जाकर उन्होंने पांडवों तथा कुंती को जलांजलि दी। दार्शनिक विदुर ने शोक को मन ही मन में दबा लिया। पितामह भीष्म भी शोक सागर में डूबे हुए थे। विदुर ने उनको धीरज बँधाया और पांडवों के बचाव के लिए किए गए उपायों के बारे में बताया।

प्रश्न 5.
लाख के घर को जलता छोड़कर पांडव कहाँ गए ?
उत्तर:
लाख के घर को जलता छोड़कर पांडव जंगल की ओर चले गए। गंगा के किनारे पहुंचकर विदुर द्वारा भेजी गई नाव से उन्होंने गंगा पार की। वे अगले दिन शाम तक चलते रहे। उन्होंने ब्रह्मचारियों का वेश धारण किया और एकचक्रा नगरी में एक ब्राह्मण के यहाँ जाकर रहने लगे।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 10 पांडवों की रक्षा

प्रश्न 6.
पांडव ब्राह्मण के यहाँ रहकर किस प्रकार अपना निर्वाह करते थे ?
उत्तर:
पांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मण के घर ठहर गए और भिक्षा मांगकर अपना निर्वाह करने लगे। गुप्त रूप से रहते हुए वे जितनी भी भिक्षा मांगकर लाते कुंती उसके दो भाग कर देती। एक भाग भीम के लिए व शेष आधे भाग में चारों भाई व कुंती अपना निर्वाह करते थे।

प्रश्न 7.
जब कुंती और भीम घर पर थे उन्होंने किसके रोने की आवाज सुनी ? उनके रोने का क्या कारण था ?
उत्तर:
जब कुंती और भीम घर पर थे उन्होंने ब्राह्मण और उसकी पत्नी के बिलख-बिलख कर रोने की आवाज सुनी। उनसे पूछने पर पता चला कि एकचक्रा नगरी से बाहर एक राक्षस रहता है। वह रोज एक व्यक्ति को भोजन के रूप में खाता है। एक-एक करके सभी को उसके पास जाना पड़ता था। आज ब्राह्मण के घर से किसी को बका राक्षस के पास जाना था। ब्राह्मण व ब्राह्मणी के रोने का यही कारण था।

प्रश्न 8.
कुंती ने ब्राह्मण व ब्राह्मणी के रोने की आवाज सुनकर क्या किया?
उत्तर:
पहले तो कुंती ने पूरी बात का पता लगाया। फिर उसने बकासुर राक्षस के पास भीम को भेजने का निर्णय लिया। युधिष्ठिर ने कुंती के निर्णय पर आपत्ति की परन्तु कुंती ने यह कहकर की मुझे भीम के बल व पराक्रम पर पूरा भरोसा है युधिष्ठिर को निरुत्तर कर दिया।

प्रश्न 9.
भीम ने बकासुर राक्षस का वध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
भीम भोजन से लदी गाड़ी लेकर बकासुर राक्षस के पास गया। वहाँ जाकर वह स्वयं ही भोजन खाने लगा। बकासुर को यह देखकर बहुत क्रोध आया। वह भीमसेन पर झपटा। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। भीम ने बकासुर को नीचे गिराकर उसकी रीढ़ पर घुटना टिकाकर रीढ़ को तोड़ दिया। इस प्रकार राक्षस के प्राण पखेरू उड़ गए। भीम ने उसकी लाश को नगर के मुख्य द्वार पर लाकर रख दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 10 पांडवों की रक्षा

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 10

पाँचों पांडव माता कुंती के साथ वारणावत के लिए चल पड़े। हस्तिनापुर के लोग भी उनके पीछ-पीछे चले। युधिष्ठिर ने उन्हें समझाकर लौटाया। वारणावत पहुँचने पर वहाँ के लोगों ने बड़ी धूमधाम से उनका स्वागत किया। जब तक भवन बनकर तैयार हुआ पांडव दूसरे भवन में रहे। लाख का भवन बनने के बाद पुरोचन उनको उस महल में ले गए। युधिष्ठिर महल को देखकर समझ गए। उन्होंने अपने भाइयों से कहा कि हमें यहाँ इस प्रकार रहना है कि किसी को किसी प्रकार का भी संदेह न हो। इतने में विदुर का भेजा हुआ सुरंग खोदने वाला भी आ गया है। उसने रात्रि के समय अपना काम शुरू कर दिया। पुरोचन का मकान भवन के द्वार पर ही था। एक दिन पुरोचन ने सोचा कि अब पांडवों का काम तमाम करने का अवसर आ गया। युधिष्ठिर उसकी बात को ताड़ गए। युधिष्ठिर की सलाह पर कुंती ने एक भोज का आयोजन किया। नगर के सभी लोगों को भोजन कराया। रात में सभी खा पीकर सो गए। तभी पांडव मौका देखकर भवन से निकल गए। पुरोचन ने चलते-चलते महल में आग लगा दी। पांडवों के मरने का समाचार पूरे नगर में फैल गया। धृतराष्ट्र तथा कौरवों ने गंगा किनारे जाकर कुंती तथा पांडवों को जलांजलि दी। दार्शनिक विदुर ने अधिक शोक प्रकट नहीं किया। विदुर ने भीष्म को भी पांडवों के बचाव के लिए किए गए उपायों के बारे में बताया।

लाख के भवन को जलता छोड़कर कुंती एवं पाँचों पांडव जंगल में पहुंच गए। वे निरंतर चलते ही रहे। वे ब्रह्मचारियों का वेश बनाकर एकचक्रा नगरी में जाकर एक ब्राह्मण के घर रहने लगे। वे भिक्षा माँगकर अपनी गुजर बसर करने लगे। एक दिन कुंती और भीम घर पर ही थे। चारों भाई भिक्षा माँगने नगर में गए हुए थे कि तभी उन्होंने ब्राह्मण और ब्राह्मणी की वार्ता सुनी। वे बकासुर राक्षस के बारे में बातें कर रहे थे। नगर से बाहर बकासुर राक्षस रहता था जो रोज नियम से एक व्यक्ति का आहार करता था। आज उस ब्राह्मण की बारी थी। कुंती ने उनकी सारी बात सुनकर भीम को वहाँ जाने के लिए तैयार किया। कंती की बात से भिक्षा माँगकर लौटे युधिष्ठिर ने खीजकर कहा कि तुम कैसा दुस्साहस करने चली हो। परन्तु कुंती को भीम के बल व पराक्रम पर विश्वास था। साथ ही उसने कहा हम जिस ब्राह्मण के घर ठहरे हैं उसकी सहायता करना हमारा कर्तव्य है। भीम खाने-पीने की वस्तुओं से भरी गाड़ी लेकर उस स्थान की ओर चल पड़ा जहाँ बकासुर राक्षस रहता था। भीम ने वहाँ पहुँचकर खाने पीने की वस्तुओं को खाना शुरू कर दिया। बका भीम की यह ढिठाई देखकर गुस्से से भर उठा। वह भीम की ओर झपटा। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। भीम ने बका का वध कर उसे लाकर नगर के फाटक पर रख दिया और माँ को आकर सारा हाल बताया।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 9 लाख का घर

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 9 लाख का घर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 9

प्रश्न 1.
दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्या क्यों करता था ?
उत्तर:
भीमसेन का शारीरिक बल व अर्जुन का युद्ध कौशल दुर्योधन के लिए ईर्ष्या का सबसे बड़ा कारण था। प्रजाजन युधिष्ठिर को राजा देखना चाहते थे। पांडवों की जितनी लोकप्रियता बढ़ती जाती थी उतनी ही दुर्योधन की ईर्ष्या भी।

प्रश्न 2.
दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से अकेले में क्या कहा ?
उत्त:
दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा कि पुरवासी तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। जन्म से अंधे होने के कारण आप राज्य से वंचित रह गए। अब यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो फिर पीढ़ियों तक हम राज्य की आशा नहीं कर सकेंगे।

प्रश्न 3.
दुर्योधन ने धृतराष्ट्र को क्या करने के लिए कहा ?
उत्तर:
दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा कि तुम्हें और कुछ नहीं करना केवल पांडवों को किसी न किसी बहाने से वारणावत के मेले में भेजना है। इतनी सी बात से हमारा कुछ भी बिगाड़ नहीं होगा।

प्रश्न 4.
दुर्योधन के पक्ष में आए कूटनीतिज्ञों ने धृतराष्ट्र पर किस प्रकार दबाव बनाया?
उत्तर:
कूटनीतिज्ञ बारी-बारी से धृतराष्ट्र के पास जाते थे और उनको पांडवों के विरुद्ध उकसाते थे। इनमें शकुनि का मंत्री कर्णिक मुख्य था। उसने धृतराष्ट्र को राजनीतिक चालों का भेद बताते हुए अनेक उदाहरणों एवं प्रमाणों से अपनी दलीलों की पुष्टि की। उसका कहना था कि जो ऐश्वर्यवान है वही संसार में श्रेष्ठ माना जाता है। पांडव बड़े शक्ति संपन्न हैं। इस कारण अभी से चौकन्ने हो जाइए वरना पीछे पछताइयेगा। .

प्रश्न 5.
पांडवों को वारणावत भिजवाने में दुर्योधन के पृष्ठ-पोषकों ने क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर:
दुर्योधन के पृष्ठ-पोषकों ने वारणावत की सुंदरता का ऐसा वर्णन किया कि पांडवों के मन में वहाँ जाने का लालच आ गया। उन्होंने स्वयं ही धृतराष्ट्र के पास जाकर वहाँ जाने की अनुमति मांगी।

प्रश्न 6.
पांडवों के चले जाने की खबर सुनकर दुर्योधन ने शकुनि व कर्ण के साथ क्या योजना बनाई ?
उत्तर:
दुर्योधन ने अपने मंत्री पुरोचन को तीव्रगामी रथ से वारणावत भेजा। जिससे की वह पूर्व योजना के अनुसार लाख का भवन बनवा सके। वहाँ जाकर उसने सन, घी, लाख, मोम, तेल, चर्बी आदि को मिट्टी में मिलाकर एक सुंदर भवन बनवाया। दुर्योधन की योजना के अनुसार जब तक लाख का भवन तैयार न हो पांडवों को कहीं और ठहराया जाए। भवन तैयार होने पर कुछ दिन तक उनको उसमें आराम से रहने दिया जाए। जब पांडव पूरी तरह से निःशंक हो जाएं तब उसमें रात के समय आग लगा दी जाए।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 9 लाख का घर

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 9

भीम के शारीरिक बल व अर्जुन के युद्ध कौशल के कारण दुर्योधन की ईर्ष्या निरंतर बढ़ती ही जा रही थी। वह निरंतर पांडवों के नाश का उपाय सोचता रहता था। दुर्योधन को इस,कार्य में शकुनि व कर्ण का साथ मिल रहा था। धृतराष्ट्र पुत्र मोह के कारण दुर्योधन का साथ देने के लिए विवश थे। धृतराष्ट्र में निर्णय लेने की क्षमता भी नहीं थी। प्रजाजन युधिष्ठिर को ही राजगद्दी के योग्य समझते थे। उनकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। दुर्योधन ने शकुनि के साथ मिलकर पांडवों को अपने रास्ते से हटाने की योजना बनाई। दुर्योधन ने धृतराष्ट्र को भी इसके लिए तैयार कर लिया कि पांडवों को वारणावत मेले में भेज दिया जाये। दुर्योधन ने इसी बीच कुछ कूटनीतिज्ञों को भी अपने पक्ष में कर लिया। इनमें कर्णिक नाम का एक ब्राह्मण भी था। उसने धृतराष्ट्र के कान भरे कि किस प्रकार पांडवों की बढ़ती शक्ति दुर्योधन के लिए खतरा हो सकती है। पुत्र मोह के कारण धृतराष्ट्र भी उनकी बातों में आ गए। दुर्योधन के कुछ चापलूसों ने पांडवों को वारणावत की सुंदरता के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताया इससे पांडवों में वारणावत जाने की उत्सुकता जग गई। वे स्वयं ही धृतराष्ट्र के पास वारणावत जाने की अनुमति माँगने पहुंच गए। धृतराष्ट्र की अनुमति लेकर पांडव कुंती के साथ वारणावत की ओर चल पड़े। उधर दुर्योधन ने पहले ही पुरोचन को बुलाकर गुप्त मंत्रणा की और एक योजना के अनुसार पुरोचन को तीव्रगामी रथ पर बैठाकर वारणावत भेज दिया। पुरोचन ने वहाँ पहुँचकर पांडवों के ठहरने के लिए आग पकड़ने वाली वस्तुओं को मिट्टी में मिलाकर पांडवों के लिए सुंदर भवन बनवाया। उनकी यह योजना थी की जब तक यह भवन बनकर तैयार हो तब तक पांडवों के ठहरने का प्रबन्ध कहीं और कर दिया जाए। इसके बाद इनको इस लाख के भवन में भेजा जाए तथा कुछ दिन आराम से रहने दिया जाए और जब वे पूर्ण रूप से निःशंक हो जाएँ तब रात में भवन में आग लगा दी जाए, जिसमें पांडव जलकर भस्म हो जाएँ और कौरवों पर भी कोई संदेह न करे।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 7 कर्ण

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 7 कर्ण

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 7

प्रश्न 1.
हस्तिनापुर में भारी समारोह का आयोजन क्यों किया गया ?
उत्तर:
सभी राजकुमार अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त करके लौटे थे। उन सभी को उनके कौशल का प्रदर्शन करने के लिए भारी समारोह का आयोजन किया गया। सभी राजकुमार एक से बढ़कर एक प्रदर्शन कर रहे थे।

प्रश्न 2.
कर्ण ने सभा में उपस्थित होकर अर्जुन से क्या कहा ?
उत्तर:
कर्ण ने अर्जुन से कहा-“अर्जुन! जो भी करतब तुमने यहाँ दिखाएँ हैं, उनसे बढ़कर कौशल में दिखा सकता हूँ।

प्रश्न 3.
कर्ण की चुनौती का दर्शकों पर क्या असर हुआ ?
उत्तर:
कर्ण की चुनौती सुनकर दर्शक मंडली में खलबली मच गई। ईर्ष्या की आग में जलने वाले दुर्योधन को इससे बड़ी राहत मिली। उसने आगे बढ़कर कर्ण का स्वागत किया और उसे छाती से लगा लिया।

प्रश्न 4.
कृपाचार्य ने उठकर कर्ण से क्या पूछा ?
उत्तर:
कृपाचार्य ने उठकर कर्ण से कहा कि हे! अज्ञात वीर महाराज पांडु का पुत्र और कुरुवंश का वीर अर्जुन तुम्हारे साथ द्वंद्व युद्ध करने के लिए तैयार है, किंतु तुम पहले अपना परिचय दो। द्वंद्व युद्ध बराबर वालों में ही होता है। कुल का परिचय पाए बगैर राजकुमार कभी द्वंद्व युद्ध करने को तैयार नहीं होते।

प्रश्न 5.
कृपाचार्य की बातें सुनकर कर्ण का सिर झुक जाने पर दुर्योधन ने क्या किया?
उत्तर:
कृपाचार्य की बातें सुनकर दुर्योधन खड़ा हो गया और बोला-“अगर बराबरी की बात है तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा घोषित करता हूँ। दुर्योधन ने भीष्म और धृतराष्ट्र की अनुमति लेकर रंगभूमि में ही राज्यभिषेक की सामग्री मंगवाकर कर्ण का राज्यभिषेक कर दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 7 कर्ण

प्रश्न 6.
कर्ण सूत-पुत्र है, सभा में इस बात का कैसे पता चला ?
उत्तर:
रंगभूमि में भय के मारे काँपते हुए तभी बूढ़ा अधिरथ प्रविष्ट हुआ। उसको देखकर कर्ण ने अपना धनुष नीचे रखकर सिर नवाया। बूढ़े ने भी बेटा कहकर उसे गले लगा लिया। तब सभा में पता चला कि कर्ण सूत-पुत्र है।

प्रश्न 7.
इन्द्र ने कर्ण से कवच और कुंडल दान में क्यों माँगे ?
उत्तर:
अर्जुन इंद्र के पुत्र थे और कर्ण सूर्य के पुत्र । इन्द्र नहीं चाहता था कि भविष्य में होने वाले किसी युद्ध में कर्ण की शक्ति से अर्जुन पर विपत्ति आए। इन्द्र कर्ण की शक्ति कम करना चाहता था। इसलिए उसने कर्ण से कवच और कुंडल माँग लिए।

प्रश्न 8.
सूर्य के सचेत कर देने पर भी कर्ण ने इन्द्र को अपने कवच-कुंडल क्यों दे दिए ?
उत्तर:
कर्ण महान दानवीर था। वह अपने पास आए किसी भी याचक को खाली हाथ नहीं लौटने देता था। वह यह जानकर भी कि उसके साथ धोखा हो रहा है फिर भी अपने कवच और कुंडल इन्द्र को दे दिए।

प्रश्न 9.
परशुराम ने कर्ण को क्या श्राप दिया ?
उत्तर:
परशुराम ने कर्ण को कहा कि तुमने अपने गुरु से छल किया है अतः जो विद्याएँ तुमने मुझसे सीखी हैं वे समय पड़ने पर तुम्हारे काम नहीं आएंगी। परशुराम का श्राप सच्चा सिद्ध हुआ। कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन से युद्ध करते हुए कर्ण अपनी सारी विद्याएँ भूल गया और अर्जुन के हाथों वीरगति को प्राप्त हुआ।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 7 कर्ण

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 7

कथासार पांडवों ने पहले कृपाचार्य और बाद में द्रोणाचार्य से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा पाई। जब वे पूरी तरह निपुण हो गए तो एक भारी समारोह का आयोजन किया गया। सभी राजकुमार इस समारोह में अपने-अपने करतब दिखा रहे थे। अर्जुन का कमाल देखकर दुर्योधन ईर्ष्या के कारण जल रहा था। तभी सभा में कर्ण ने प्रवेश किया। उसने अर्जुन से कहा कि मैं उनसे बढ़कर कौशल दिखा सकता हूँ। कर्ण की चुनौती सुनकर सभा में खलबली मच गई। दुर्योधन ने कर्ण का बड़ी तत्परता से स्वागत किया। कर्ण की चुनौती सुनकर अर्जुन को तैश आ गया। इसी बीच कृपाचार्य ने उठकर कर्ण से उसका परिचय पूछा और कहा युद्ध सदा बराबर वालों में ही होता है। इसी बीच दुर्योधन ने खड़े होकर कर्ण को अंगदेश का राजा घोषित कर दिया और सभा में ही उसका राजतिलक कर दिया। तभी सभा में बूढ़े अधिरथ पहुंच गए। उनको देखते ही कर्ण ने धनुष नीचे रखकर उनके आगे सिर नवाया। यह जानकर कि यह सूतपुत्र है सभा में खलबली मच गई।

इस घटना के कुछ समय बाद इन्द्र एक बूढ़े ब्राह्मण का वेश बनाकर कर्ण के पास गया और उनसे उसके कवच और कुंडल दान में माँगे। इन्द्र नहीं चाहते थे कि भविष्य में होने वाले युद्ध में कर्ण अर्जुन के लिए विपत्ति बने। कर्ण को सूर्यदेव ने पहले ही सचेत कर दिया था कि तुम्हारे साथ इन्द्र ऐसी चाल चलने वाला है। परन्तु दानी कर्ण ने इस बात की कभी परवाह नहीं की। इतनी अद्भुत दानवीरता देखकर इन्द्र ने इनको शक्ति नामक अस्त्र प्रदान किया। साथ ही कहा कि इसका प्रयोग तुम केवल एक बार ही कर सकते हो।

एक बार कर्ण को परशुराम जी से ब्रह्मास्त्र सीखने की इच्छा हुई। वे ब्राह्मणवेश में परशुराम जी के पास गए। परशुराम ने ब्राह्मण समझकर कर्ण को सारी विद्याएँ सिखा दीं। तभी एक घटना के कारण यह भेद खुल गया कि कर्ण ब्राह्मण नहीं है। यह जानकर परशुराम को बहुत क्रोध आया उन्होंने कहा कि तुमने गुरु के साथ छल किया है। अतः समय पड़ने पर ये विद्याएँ तुम्हारे काम नहीं आएंगी। परशुराम का यह श्राप सच्चा सिद्ध हुआ। दुर्योधन के साथ कर्ण ने अंत समय तक मित्रता निभाई। अर्जुन के साथ युद्ध करते हुए उसकेउ रथ का पहिया जमीन में धंस गया। तभी अर्जुन ने मौका पाकर कर्ण पर प्रहार किया। कुंती ने जब यह सुना तो उसके दुःख का पार न रहा।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 8 द्रोणाचार

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 8 द्रोणाचार्य

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 8

प्रश्न 1.
आचार्य द्रोण कौन थे ? उनकी शिक्षा-दीक्षा कहाँ हुई ?
उत्तर:
आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। इनकी शिक्षा-दीक्षा महर्षि भरद्वाज के आश्रम में ही हुई।

प्रश्न 2.
द्रोण के मित्र कौन थे? शिक्षा के दौरान उनमें किस प्रकार की बातें हुईं ?
उत्तर:
पांचाल नरेश के पुत्र द्रुपद द्रोण के मित्र थे। वे दोनों एक साथ शिक्षा ग्रहण करते थे। द्रुपद उनसे कहता था कि राजा बनने के बाद मैं अपना आधा राज्य तुम्हें दे दूंगा।

प्रश्न 3.
राजा बनने के बाद द्रुपद को द्रोण का अपने पास आना बुरा क्यों लगा ?
उत्तर:
द्रुपद ऐश्वर्य के मद में चूर हो गए थे। वे अपनी मित्रता को भी भुला बैठे। द्रोण एक गरीब व्यक्ति थे। उनको द्रोण का वहाँ आना बुरा लगा क्योंकि उनका मानना था कि मित्रता बराबर वालों में ही हो सकती है। एक दरिद्र प्रजाजन की राजा के साथ मित्रता नहीं हो सकती।

प्रश्न 4.
द्रुपद से अपमानित होने पर द्रोण ने क्या निश्चय किया ?
उत्तर:
द्रोण ने निश्चय किया कि मैं इस अभिमानी राजा को सबक सिखाऊँगा और बचपन में जो मित्रता हुई उसे पूरी करके चैन लूँगा। वे हस्तिनापुर पहुंचकर अपनी पत्नी के भाई कृपाचार्य के पास गुप्त रूप से रहने लगे और उचित मौके की तलाश में लग गए।

प्रश्न 5.
द्रोणाचार्य का कौरव-पांडवों से मिलन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
एक बार सभी राजकुमार नगर से बाहर गेंद खेल रहे थे, तभी उनकी गेंद कुँए में गिर गई। गेंद निकालने के प्रयास में युधिष्ठिर की अंगूठी भी कुँए में भी गिर गई। राजकुमार गेंद निकालने में सफल नहीं हुए तभी द्रोणाचार्य ने एक सींक से ही गेंद को बाहर निकाल दिया तथा धनुष पर बाण चढ़ाकर कुँए में गिरी अंगूठी को भी निकाल दिया। इस प्रकार द्रोणाचार्य का राजकुमारों से परिचय हुआ।

प्रश्न 6.
द्रोणाचार्य के बारे में जानकर भीष्म ने क्या किया ?
उत्तर:
भीष्म ने द्रोणाचार्य को राजकुमारों का शिक्षक नियुक्त कर दिया। द्रोण ने सभी राजकुमारों को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा प्रदान की।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 8 द्रोणाचार्य

प्रश्न 7.
द्रोणाचार्य ने गुरु दक्षिणा के रूप में राजकुमारों के सामने क्या माँग रखी और क्यों?
उत्तर:
द्रोणाचार्य ने राजकुमारों से गुरु दक्षिणा के रूप में द्रुपद को कैद कर लाने के लिए आदेश दिया। दुर्योधन के असफल होने पर अर्जुन द्रुपद को युद्ध में हराकर उसे बंदी बना लाया। द्रोणाचार्य ने द्रुपद को बंदी बनाने का आदेश इसलिए दिया था जिससे कि द्रुपद के अभिमान को चूर किया जा सके व अपने अपमान का बदला लिया जा सके।

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 8

आचार्य द्रोण व पांचाल नरेश के पुत्र द्रुपद भरद्वाज ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते थे। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी-कभी अति उत्साह में आकर द्रुपद द्रोण से कहता था कि पांचाल देश का राजा बनने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूंगा। द्रोण भी धन प्राप्त कर अपने परिवार के साथ सुख से रहना चाहते थे। एक बार परशुराम जी अपनी सारी संपत्ति ब्राह्मणों में बाँट रहे थे। द्रोण भी उनके पास पहुँचे परन्तु तब तक सारी सम्पत्ति बँट चुकी थी। परशुराम ने उनसे कहा कि अब मेरे पास केवल मेरा शरीर व धनुर्विद्या ही है। द्रोण ने परशुराम से धनुर्विद्या सीख ली।

कुछ समय के बाद राजकुमार द्रुपद के पिता का स्वर्गवास हो गया। द्रुपद गद्दी पर बैठा। यह समाचार द्रोण को भी मिला। द्रोण ने सोचा कि द्रुपद यदि राज्य न भी दे, धन तो देगा ही यह सोचकर वे द्रुपद के पास पहुंचे। ऐश्वर्य के मद में चूर द्रुपद को द्रोण का आना बुरा लगा। उन्होंने कहा कि एक राजा के साथ दरिद्र प्रजाजन की मित्रता नहीं होती, मित्रता बराबरी की हैसियत वालों में होती है। द्रोणाचार्य बहुत लज्जित हुए। उन्होंने उसको सबक सिखाने की सोची। वे हस्तिनापुर जाकर अपनी पत्नी के भाई कृपाचार्य के पास गुप्त रूप से रहने लगे।

एक बार हस्तिनापुर के राजकुमार नगर से बाहर गेंद खेल रहे थे तभी उनकी गेंद एक कुँए में गिर पड़ी। द्रोणाचार्य ने पास पड़ी हुई एक सींक से ही उनकी गेंद निकाल दी। इसके बाद द्रोण ने युधिष्ठिर की अंगूठी भी धनुष पर बाण चढ़ाकर निकाल दी। द्रोण के इस चमत्कार को देखकर राजकुमारों को विस्मय हुआ। राजकुमारों द्वारा परिचय माँगने पर द्रोण ने कहा कि सारी घटना बताकर आप भीष्म से मेरा परिचय प्राप्त कर लीजिए। राजकुमारों की बात सुनकर भीष्म समझ गए कि हो न हो वे आचार्य द्रोण ही होंगे। उन्होंने निश्चय कर लिया कि राजकुमारों की शिक्षा द्रोणाचार्य से ही कराई जाए। इसके बाद द्रोणाचार्य ने राजकुमारों की शिक्षा प्रारंभ कर दी। शिक्षा पूरी होने पर द्रोणाचार्य ने उनसे गुरु दक्षिणा के रूप में पांचाल नरेश द्रुपद को कैद करके लाने को कहा। अर्जुन ने द्रुपद की सेना को तहस-नहस कर दिया व द्रुपद व उनके मंत्रियों को कैद कर लाया। द्रोणाचार्य ने द्रुपद को बचपन की बातें याद दिलाते हुए कहा कि तुम किस प्रकार मुझे भूल गए और मेरा अपमान किया। एक राजा ही दूसरे राजा के साथ मित्रता कर सकता है इसलिए मुझे युद्ध करके तुम्हारा राज्य छीनना पड़ा। मैं तुम्हारे साथ मित्रता करना चाहता हूँ इसलिए मैं तुम्हें आधा राज्य लौटाता हूँ क्योंकि मित्रता बराबरी वालों में ही होती है। द्रुपद के मन में द्रोण से बदला लेने की चाह थी। उसने कठोर व्रत व तप इस कामना से किए कि उसे ऐसा बलशाली पुत्र हो जो द्रोण का वध कर सके व ऐसी कन्या हो जो अर्जुन से ब्याही जा सके। आगे चलकर अर्जुन का ब्याह द्रुपद की कन्या द्रौपदी के साथ हुआ तथा द्रोणाचार्य का वध भी द्रुपद के पुत्र धृष्ठधुमन ने किया।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 6 भीम

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 6 भीम

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 6

प्रश्न 1.
दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्या क्यों करता था ?
उत्तर:
पांडव बल बुद्धि में कौरवों से अधिक थे। उनके बल एवं बुद्धि को देखकर दुर्योधन को ईर्ष्या होती थी।

प्रश्न 2.
सभी राजकुमार किससे शिक्षा ग्रहण करते थे ?
उत्तर:
अतः सभी राजकुमार कृपाचार्य से अस्त्र-विद्या के साथ-साथ अन्य विद्याएँ भी सीखते थे।

प्रश्न 3.
एक बार कौरवों ने भीम को रास्ते से हटाने के लिए क्या चाल चली ?
उत्तर:
कौरवों ने आपस में सलाह की कि भीम को गंगा में डुबोकर मार डाला जाए और युधिष्ठिर व अर्जुन आदि को कैद कर लिया जाए। ऐसा करके पूरे राज्य पर उनका अधिकार हो जाएगा।

प्रश्न 4.
भीम को उन्होंने किस प्रकार गंगा में डुबोया ?
उत्तर:
पहले तो सभी लोग खेलते रहे व नदी में नहाते रहे फिर उन्होंने भोजन किया। दुर्योधन ने भीम के भोजन में विष मिला दिया। भीम को विष के कारण गहरा नशा हो गया। वह गंगा किनारे ही गिर पड़ा। दुर्योधन ने उसके हाथ-पैर लताओं से बाँधकर उसे गंगा में बहा दिया।

प्रश्न 5.
कुंती ने विदुर को बुलाकर क्या कहा ? विदुर ने कुंती को क्या सलाह दी?
उत्तर:
कुंती ने विदुर को बुलाकर दुर्योधन के व्यवहार के बारे में बताया कि किस प्रकार उसने अपने भाइयों के साथ मिलकर भीम को विष दिया व फिर गंगा में डुबो दिया। विदुर ने कुंती से कहा कि इस बात को अपने मन में ही रखना अन्यथा दुर्योधन और अधिक द्वेष करने लगेगा।

प्रश्न 6.
भीम के उत्तेजित हो जाने पर युधिष्ठिर ने उसको क्या सलाह दी ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने भीम से कहा कि अभी समय नहीं आया है तुम्हें अपने आपको संयमित रखना है। इस समय हम पाँचों भाइयों को यही करना है कि किसी प्रकार एक दूसरे की रक्षा करते हुए बचे रहे।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 6 भीम

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 6

पांडव और कौरव हस्तिनापुर में साथ-साथ रहने लगे। शरीरबल में पांडु पुत्र भीम सबसे बलशाली था। वह दुर्योधन एवं उसके भाइयों को खूब तंग किया करता था। दुर्योधन एवं उसके भाइयों के मन में भीम के प्रति द्वेष भाव था। सभी बालकों को कृपाचार्य के पास शस्त्र विद्या सीखने के लिए भेज दिया। शस्त्रविद्या में पांडव कौरवों से आगे थे। दुर्योधन पांडवों को हर प्रकार से नीचा दिखाने का प्रयास किया करता था। एक बार कौरवों ने निश्चय किया कि भीम को गंगा में डुबोकर मार डाला जाए। उन्होंने भीम के भोजन में विष मिला दिया। पहले सभी खूब खेले और फिर थककर सो गए। भीम को विष के कारण गहरा नशा हो गया। कौरवों ने भीम को लताओं से बाँधकर गंगा नदी में बहा दिया। दुर्योधन मन ही मन खुश हुआ। पांडव अपने भाई भीम को ढूंढते रहे परन्तु उसका कहीं कोई पता नहीं लगा। वे निराश होकर अपने महल को लौट आए। तभी झूमता हुआ भीम चला आ रहा था। कुंती ने भीम को अपने गले से लगा लिया। यह हाल देखकर कुंती बहुत चिंतित हुई उसने विदुर को बुलाकर कहा कि दुर्योधन कोई चाल चल रहा है। राज्य के लोभ में वह भीम को मार डालना चाहता है। विदुर ने कुंती को समझाते हुए कहा कि तुम्हारा कहना सही है परन्तु अब चुप रहने में ही कुशलता है इस बात को अपने तक ही सीमित रखो। दुर्योधन की निंदा करोगी तो उसका द्वेष और बढ़ेगा। इस घटना से भी बहुत उत्तेजित हो गया। युधिष्ठिर ने उसको समझाया कि अभी समय नहीं आया है। तुम्हें अपने आपको संभालना है और किसी प्रकार एक दूसरे की रक्षा करते हुए बचे रहना है।

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Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 5 कुंती

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 5 कुंती

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 5

प्रश्न 1.
कुंती कौन थी ?
उत्तर:
यदुवंश के प्रसिद्ध राजा शूरसेन कृष्ण के पितामह थे। कुंती शूरसेन की पुत्री थी। इसका नाम पृथा था। पृथा को कुंतिभोज ने गोद लिया था। इसके बाद पृथा कुंती के नाम से प्रसिद्ध हुई। कुंतिभोज शूरसेन के फुफेरे भाई थे। उनके कोई संतान नहीं थी। शूरसेन ने उससे कहा था कि उसकी जो भी पहली संतान होगी, उसे कुंतिभोज को गोद दे देंगे।

प्रश्न 2.
महर्षि दुर्वासा ने कुंती को क्या वरदान दिया था ?
उत्तर:
एक बार महर्षि दुर्वासा कुंतिभोज के यहाँ पधारे। कुंती ने महर्षि दुर्वासा की बड़ी सावधानी व सहनशीलता के साथ उनकी सेवा-सुश्रुषा की। ऋषि ने प्रसन्न होकर कुंती को वरदान दिया कि तुम जिस भी देवता का ध्यान करोगी, वह अपने समान एक तेजस्वी पुत्र तुम्हें प्रदान करेगा।

प्रश्न 3.
कर्ण के जन्म के विषय में लिखिए।
उत्तर:
एक बार कुंती ने सूर्य देव का आह्वान किया। सूर्य के संयोग से कुंती ने सूर्य के समान तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। जन्मजात कवच और कुंडलों से शोभित वह बालक आगे चलकर शस्त्रधारियों में श्रेष्ठ कर्ण के नाम से विख्यात हुआ। कर्ण का जब जन्म हुआ तब कुंती कुँवारी थी इसलिए लोक निंदा के डर से बच्चे को एक पेटी में बंद करके गंगा में बहा दिया। अधिरथ नाम के सारथी को वह पेटी दिखाई दी। उसने उस पेटी को निकाल लिया। उसने ही फिर कर्ण का पालन-पोषण किया।

प्रश्न 4.
ऋषि-दम्पति ने पांडु को श्राप क्यों दिया ?
उत्तर:
एक बार पांडु जंगल में शिकार खेलने गए। जंगल में हिरण का रूप धारण करके एक ऋषि-दम्पत्ति विहार कर रहे थे। पांडु ने हिरण समझ कर बाण छोड़ा। बाण से ऋषि की मृत्यु हो गई। ऋषि ने पांडु को श्राप दिया कि तुम्हारी मृत्यु भी इसी प्रकार होगी। ऋषि के श्राप से पांडु को बहुत दुःख हुआ।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 5 कुंती

प्रश्न 5.
श्रापग्रस्त पांडु ने क्या किया ? उनकी मृत्यु कैसे हुई ?
उत्तर:
श्रापग्रस्त पांडु ने राज्य विदुर को सौंप दिया और अपनी दोनों रानियों कुंती एवं माद्री के साथ प्रायश्चित करने वन को चले गए। पांडु के कोई संतान नहीं थी। ऋषि के श्राप के कारण वह संतानोत्पत्ति भी नहीं कर सकता था। एक दिन वह अपनी पत्नी माद्री के साथ विहार करने लगा तभी श्राप का प्रभाव हुआ और पांडु की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 6.
पांडवों का जन्म कैसे हुआ ?
उत्तर:
कुंती ने एक बार पांडु को दुर्वासा से मिले वरदान के बारे में बताया। उनके अनुरोध से कुंती और माद्री ने देवताओं के अनुग्रह से पाँच पांडवों को जन्म दिया। पाँचों पांडवों का जन्म वन में हुआ। वही वे तपस्वियों के साथ पलने लगे।

प्रश्न 7.
पांडु की मृत्यु का समाचार सुनकर सत्यवती ने क्या किया ?
उत्तर:
सत्यवती को जब पांडु की मृत्यु का समाचार मिला तो वह अपनी दोनों पुत्र वधुओं अंबिका और अंबालिका के साथ वन में चली गई। तीनों वृद्धाएँ तपस्या करते करते स्वर्ग सिधार गईं।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 5 कुंती

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 5

कुंती शूरसेन की पुत्री थी। इसका बचपन का नाम पृथा था। शूरसेन के फुफेरे भाई कुंतिभोज की कोई संतान नहीं थी। कुंतिभोज ने प्रथा को गोद लिया था तभी से उनका नाम कुंती पड़ा। एक बार ऋषि दुर्वासा कुंतिभोज के यहाँ पधारे। कुंती ने बड़ी सावधानी व सहनशीलता से दुर्वासा की सेवा की। दुर्वासा ने प्रसन्न होकर कुंती से कहा कि तुम जिस किसी भी देवता का ध्यान करोगी वह अपने समान तेजस्वी पुत्र तुम्हें प्रदान करेगा। इस प्रकार सूर्य के संयोग से कुंती ने सूर्य के समान तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। यही बालक आगे चलकर कर्ण के नाम से विख्यात हुआ। कुंती ने लोक निंदा के डर से उसको गंगा में बहा दिया था। बहुत आगे जाकर अधिरथ नामक सारथी की नजर उस पर पड़ी। अधिरथ निःसंतान था। उसने ही कर्ण का लालन-पालन किया।

कुंती के विवाह योग्य होने पर उसका स्वयंवर रचा गया। पांडु ने भी इस स्वयंवर में भाग लिया। कुंती ने पांडु को अपना पति चुना। पांडु ने भीष्म के कहने पर मद्रराज की कन्या माद्री से भी विवाह किया। एक दिन पांडु वन में शिकार खेलने गए। हिरण के रूप में एक ऋषि दंपती विहार कर रहे थे। पांडु ने अपने बाण से हिरण का वध कर दिया। ऋषि ने मरते-मरते पांडु को शाप दिया कि तुम्हारी मृत्यु भी इसी प्रकार होगी। पांडु विदुर को राज्य का भार सौंपकर अपनी दोनों पत्नियों के साथ वन में चले गए। वे निःसंतान थे लेकिन ऋषि के शापवश संतानोत्पत्ति नहीं कर सकते थे।

एक दिन कुंती ने दुर्वासा से मिले वरदानों का पांडु से जिक्र किया। उनके अनुरोध से कुंती और माद्री ने देवताओं के अनुग्रह से पाँच पांडवों को जन्म दिया। वे वन में ही तपस्वियों के संग पलने लगे। एक दिन पांडु अपनी पत्नी के साथ प्रकृति की सुषमा को निहार रहे थे तभी ऋषि के शाप के कारण पांडु की मृत्यु हो गई। माद्री ने उनकी मृत्यु का स्वयं को कारण माना इसलिए पांडु के साथ माद्री ने भी प्राण त्याग दिए। ऋषि मुनियों ने कुंती एवं उनके पुत्रों को हस्तिनापुर जाकर भीष्म पितामह को सौंप दिया। पांडु की मृत्यु के समाचार से हस्तिनापुर के लोगों के शोक की सीमा नहीं रही। सत्यवती को अपने पोते की मृत्यु से बहुत दुःख हुआ। वह अपनी पुत्र वधुओं अंबिका और अंबालिका को साथ लेकर वन चली गई और कुछ दिन तपस्या करने के बाद स्वर्ग सिधार गईं।

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