CBSE Class 6

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 3 Question Answers Summary दो वरदान

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 3

प्रश्न 1.
राम का विवाह हो जाने के बाद दशरथ के मन में क्या इच्छा बची थी? वे क्या चाहते थे?
उत्तर:
राम के विवाह के बाद दशरथ की इच्छा थी कि राम का राज्याभिषेक कर दिया जाए। राम को अयोध्या की प्रजा भी बहुत चाहती है। राम राज-काज में हाथ बंटाने लगे थे। दशरथ अब वृद्ध हो चले थे। उनके शरीर के अंग भी शिथिल होने लगे थे। वे अपने जीवन काल में ही राम को राजा बना देना चाहते थे।

प्रश्न 2.
राम को राजा बनाने के लिए दशरथ ने क्या किया?
उत्तर:
राम को राजा बनाने के लिए पहले तो उन्होंने मुनि वशिष्ठ से परामर्श किया फिर उन्होंने राज-दरबार बुलाया और सभासदों की राय माँगी। सबने एकमत से दशरथ के प्रस्ताव का स्वागत किया।

प्रश्न 3.
राज्याभिषेक की तैयारियों के अवसर पर भरत और शत्रुघ्न कहाँ गए हुए थे?
उत्तर:
राज्याभिषेक के अवसर से पहले ही दोनों भाई अपनी ननिहाल गए हुए थे। भरत के नाना भरत को अयोध्या आने नहीं देना चाहते थे। वे उससे बहुत स्नेह करते थे।

प्रश्न 4.
मंथरा ने राज्याभिषेक की तैयारियाँ देखकर क्या किया?
उत्तर:
कैकेयी की दासी मंथरा ने जब राम के राज्याभिषेक की तैयारियाँ देखीं तो वह क्रोध की अग्नि में जल उठी। वह सीधे कैकेयी के महल में पहुँची। उसने कैकेयी को जगाकर यह समाचार दिया कि राम का राज्याभिषेक होना है। यह समाचार सुनकर कैकेयी प्रसन्न हुई। मंथरा ने कैकेयी को समझाया कि यदि राम राजा बन गए तो तुम्हारी स्थिति तो दासियों जैसी हो जाएगी।
मंथरा के समझाने-बुझाने पर कैकेयी की बुद्धि फिर गई।

प्रश्न 5.
मंथरा ने कैकेयी से क्या करने को कहा?
उत्तर:
मंथरा ने कैकेयी से कहा कि महाराज दशरथ ने तुम्हें दो वर दिए थे। आज उनको माँगने का समय आ गया है। एक वर से तुम भरत के लिए राजगदी माँग लो और दूसरे से राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

प्रश्न 6.
मंथरा ने राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगने की सलाह क्यों दी?
उत्तर:
मंथरा ने ऐसी सलाह इसलिए दी ताकि इस अवधि के दौरान भरत राज्य पर अपनी पकड़ मजबूत कर ले और चौदह वर्ष के बाद जब राम अयोध्या आएँ तब तक लोग उनको भूल जाएँगे।

प्रश्न 7.
दशरथ ने रानी कैकेयी के महल में जाकर क्या देखा?
उत्तर:
राजा दशरथ ने देखा कि कैकेयी महल में नहीं है। सेवकों से पता चला कि कैकेयी कोप-भवन में है। यह जानकर दशरथ को चिंता हुई। दशरथ उसे मनाने के लिए कोप-भवन पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कैकेयी मैले कपड़े पहनकर कोप-भवन में लेटी हुई थी, उसके बाल बिखरे हुए थे।

प्रश्न 8.
दशरथ के काफी मनाने के बाद कैकेयी ने क्या कहा?
उत्तर:
दशरथ ने कैकेयी को मनाने का पूरा प्रयत्न किया, परंतु वह कुछ बोल ही नहीं रही थी। काफी विनती के बाद कैकेयी ने कहा कि पहले मुझे वचन दो कि जो मैं माँगूंगी उसे पूरा करोगे। दशरथ ने तुरंत हामी भर दी।

प्रश्न 9.
कैकेयी ने राजा दशरथ से कौन-से दो वर माँगे?
उत्तर:
कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वर माँगे-पहले में भरत के लिए राजतिलक और दूसरे में राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास।

प्रश्न 10.
कैकेयी द्वारा वर माँगने पर दशरथ की क्या दशा हुई?
उत्तर:
कैकेयी ने जब दशरथ से कहा कि कल सुबह राम का नहीं बल्कि भरत का राज्याभिषेक होगा, तो दशरथ अचंभित रह गए, मानों उन पर वज्रपात हो गया हो। जब कैकेयी ने अगला वर माँगा कि राम को चौदह वर्ष का वनवास हो। यह सुनकर दशरथ का चेहरा सफेद पड़ गया। उनका सिर चकराने लगा। वे मूर्छित होकर गिर पड़े।

प्रश्न 11.
माँग को अस्वीकार करने पर कैकेयी ने कौन-सा अंतिम हथियार चलाया?
उत्तर:
दशरथ ने जब कैकेयी की माँग को अस्वीकार कर दिया तो कैकेकी ने दशरथ से कहा-“अपने वचन से पीछे हटना रघुकुल का अनादर है। ऐसा करने पर आप दुनिया को मुँह दिखाने योग्य नहीं रहेंगे। यदि आप मुझे दिये वचन नहीं निभाओगे तो मैं विष पीकर अपनी जान दे दूँगी। यह कलंक आपके माथे लगेगा।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 3 दो वरदान

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 3 Summary

जनकपुर से अयोध्या लौटने के बाद राजा दशरथ के मन में एक ही इच्छा थी कि अब राम का राज्याभिषेक हो जाए। दशरथ ने राम को राज-काज के कार्यों में भी शामिल करना शुरू कर दिया। राम इस जिम्मेदारी को भली-प्रकार निभा रहे थे। प्रजा भी उनको बहुत चाहती थी। राजा दशरथ वृद्ध हो चले थे। दशरथ ने मुनि वशिष्ठ से विचार-विमर्श करने के बाद राज-दरबार में घोषणा की कि मैं अब राज-काज संभालने के योग्य नहीं रहा, अतः मैं चाहता हूँ कि यह भार अब राम को सौंप दिया जाए। यदि आप लोगों का मत इससे भिन्न हो तो मुझे बता दीजिए। मैं उस पर भी विचार करने को तैयार हूँ।

सभा ने एक स्वर में राजा दशरथ के प्रस्ताव का स्वागत किया। राम की जय-जयकार होने लगी। दशरथ ने कहा कि मेरी इच्छा है कि कल प्रातः ही राम का राज्याभिषेक कर दिया जाए। राज्याभिषेक की तैयारियाँ होने लगीं। भरत और शत्रुघ्न इस समय अयोध या में नहीं थे। भरत शत्रुघ्न के साथ अपनी ननिहाल केकय गए हुए थे। उनके नाना उनको वहाँ आने ही नहीं देते थे। यदि भरत के पास समाचार पहुँचाया भी जाता तो एक दिन में उनका लौटना संभव नहीं था।

राज्याभिषेक की तैयारियाँ कैकेयी की दासी मंथरा ने भी देखी। मंथरा को इस चहल-पहल का कारण समझ नहीं आया। उसको कौशल्या की दासी से पूछने पर पता चला कि राम का राज्याभिषेक होना है। मंथरा ईर्ष्या से जल-भुन गई। वह केवल भरत को ही राजा देखना चाहती थी। मंथरा सीधी कैकेयी के राजभवन में गई। वह सो रही थी। मंथरा ने उनको जगाते हुए कहा-यह समय सोने का नहीं है। महाराज दशरथ ने कल प्रातः राम का राज्याभिषेक करने का निर्णय लिया है। कैकेयी ने कहा-“यह तो बहुत शुभ समाचार है। राम राजा बनेंगे, इससे बढ़कर खुशी की और क्या बात होगी। मंथरा ने कैकेयी को तरह-तरह से समझाया कि यदि राम राजा बनेंगे तो कौशल्या राजमाता होंगी। तुम्हारी स्थिति तो दासियों जैसी हो जाएगी। दशरथ ने षड्यंत्र करके भरत को ननिहाल भेज दिया। कैकेयी ने मंथरा को फटकार लगाई, परन्तु उस पर कोई असर नहीं हुआ।

कैकेयी पर मंथरा की बातों का असर होने लगा था। कैकेयी का सिर चकराने लगा था। प्रसन्नता की जगह उस पर क्रोध का असर दिखाई देने लगा था। कैकेयी मंथरा से बोली-“बताओ मैं क्या करूँ?” मंथरा ने कैकेयी के पास जाकर कहा-“रानी याद करो, महाराज दशरथ ने तुम्हें एक बार दो वरदान दिये थे। आज उन वरदानों को माँगने का समय है। एक वचन से भरत के लिए राजगद्दी मांग लो तथा दूसरे से राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास। चौदह वर्षों के बाद जब राम लौटेंगे तब तक भरत की राज-काज पर पूरी पकड़ हो चुकी होगी और प्रजा भी राम को भूल चुकी होगी।

कैकेयी मंथरा के कहने पर अव्यवस्थित होकर कोप-भवन में जाकर लेट गईं। दशरथ राम के राज्याभिषेक का समाचार सबसे पहले कैकेयी को ही देने आए तो कैकेयी भवन में नहीं थी। सेवकों से पूछने पर दशरथ को पता चला कि कैकेयी कोप-भवन में हैं। दशरथ को चिंता हुई। कोप-भवन में सभी कुछ अस्त-व्यस्त था। कैकेयी बाल बिखेरे लेटी हुई थी। दशरथ ने उनसे पूछा कि तुम्हें क्या दुख है। तुम जो कुछ भी माँगोगी, तुम्हें मिलेगा। काफी विनती करने के बाद कैकेयी ने कहा कि पहले मुझे एक वचन दें कि जो मैं माँगूंगी, वह मिलेगा। दशरथ से वचन लेकर कैकेयी ने कहा कि “कल सुबह राज्याभिषेक भरत का होगा, राम का नहीं”। राजा दशरथ यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गए। कैकेयी ने फिर दूसरा वर माँगा कि “राम को चौदह वर्ष का वनवास हो”। यह सुनते ही दशरथ का चेहरा सफेद पड़ गया। वे मूर्छित हो गए, जैसे ही उनकी मूर्छा टूटती, वे कैकेयी को समझाने का प्रयास करते, परन्तु कैकेयी अपनी बात पर अडिग थी। दशरथ को बार-बार मूर्छा आती रही। दशरथ के वचन न मानने पर कैकेयी ने रघुकुल की रीति की याद दिलाई। दशरथ कैकेयी को समझाते रहे। इसी प्रकार सारी रात बीत गई।

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Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 2 जंगल और जनकपुर

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 2 Question Answers Summary जंगल और जनकपुर

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 2

प्रश्न 1.
अयोध्या से वन की ओर जाते समय पहले पड़ाव के समय विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को कौन-कौन-सी विद्याएँ सिखाईं? इन विद्याओं की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को ‘बला-अतिबला’ नाम की विद्याएँ सिखाईं। इन विद्याओं की विशेषता यह थी कि कोई उन पर प्रहार नहीं कर सकता था, चाहे वे सोए हुए ही क्यों न हों।

प्रश्न 2.
विश्वामित्र ने ऐसा क्यों कहा कि “ये जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं”, इनसे कोई डर नहीं है।
उत्तर:
जंगल की शोभा पेड़-पौधों और वनस्पतियों से होती है। वन की रक्षा तभी हो सकती है जब जंगल में जानवर भी हों। जानवर वन की शोभा को बढ़ाते हैं। यदि जंगल में जानवर न हों तो लोग जंगल को अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए नष्ट कर देंगे।

प्रश्न 3.
ताड़का कौन थी? राम ने उसका वध किस प्रकार किया?
उत्तर:
ताड़का एक भयानक राक्षसी थी। ताड़का के डर से कोई व्यक्ति उस वन में प्रवेश नहीं करता था, क्योंकि वह उन्हें मार देती थी। इस कारण उस सुंदर वन का नाम ‘ताड़का-वन’ पड़ गया था। राम ने अपने धनुष की टॅकार से पहले तो ताड़का के क्रोध को भड़काया, फिर उसके हृदय में बाण मारकर उसे सदा के लिए मृत्यु की गोद में सुला दिया।

प्रश्न 4.
राम ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा किस प्रकार की?
उत्तर:
राम और लक्ष्मण ने यज्ञ पूरा होने तक रात-दिन जागकर यज्ञ की रक्षा की। उन्होंने राक्षसों को भगा दिया। परन्तु यज्ञ के अंतिम दिन सुबाहु और मारीच ने वहाँ धावा बोल दिया। राम-लक्ष्मण और राक्षसी सेना के बीच युद्ध हुआ। राम के एक बाण से मारीच मूर्छित होकर समुद्र के किनारे जाकर गिरा। राम ने एक ही बाण से सुबाहु का वध कर दिया। इस प्रकार विश्वामित्र का यज्ञ पूरा हो गया।

प्रश्न 5.
राम के यह पूछने पर कि-मुनिवर! हमारे लिए क्या आज्ञा है?” विश्वामित्र ने कहाँ चलने के लिए कहा?
उत्तर:
विश्वामित्र ने राम से कहा कि हम यहाँ से मिथिला जायेंगे। तुम दोनों भी मेरे साथ चलो। राजा जनक के पास शिव जी का एक अद्भुत धनुष है, तुम भी उसको देखना।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 2 जंगल और जनकपुर

प्रश्न 6.
विश्वामित्र का महल से बाहर स्वागत करते हुए राजा जनक चकित क्यों हुए?
उत्तर:
राजा जनक की दृष्टि जब राम-लक्ष्मण पर पड़ी, तो वे चकित हो गए। वे अपने को रोक न सके और महर्षि से पूछा कि “ये सुंदर राजकुमार कौन हैं?” विश्वामित्र ने कहा-महाराज! ये राजा दशरथ के पुत्र राम-लक्ष्मण हैं।”

प्रश्न 7.
शिव जी का धनुष कैसा था?
उत्तर:
शिव जी का धनुष सचमुच विशाल था। वह लोहे की एक पेटी में रखा हुआ था। पेटी में आठ पहिए लगे हुए थे। पहियों के सहारे ही उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता था।

प्रश्न 8.
धनुष को देखकर राजा जनक उदास क्यों थे?
उत्तर:
राजा जनक ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि जो कोई इस धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी के साथ ही वे अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे। अब तक कोई भी राजकुमार उस धनुष पर प्रत्यंचा तो दूर, उसे अपने स्थान से हिला तक न सका था।

प्रश्न 9.
राम द्वारा शिव-धनुष उठाने व उसके टूटने का वर्णन करो।
उत्तर:
विश्वामित्र की आज्ञा से राम ने शिव-धनुष उठा लिया। जब उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए धनुष को झुकाया तो वह टूट गया। यज्ञशाला में सन्नाटा छा गया, परन्तु राजा जनक की खुशी का ठिकाना न था। उनको अपनी पुत्री के लिए सुयोग्य वर मिल गया था।

प्रश्न 10.
विवाह से ठीक पहले राजा जनक ने दशरथ के सामने क्या प्रस्ताव रखा?
उत्तर:
राजा जनक ने दशरथ से अनुरोध किया, “राजन्! राम ने मेरी प्रतिज्ञा पूरी कर मेरी बेटी सीता को अपना लिया। मेरी इच्छा है कि मेरी छोटी पुत्री उर्मिला का विवाह लक्ष्मण के साथ हो जाए और मेरे छोटे भ्राता कुशध्वज की भी दो कन्याएँ-माँडवी और श्रुतकीर्ति हैं। कृपया उन्हें भरत और शत्रुध्न के लिए लिए स्वीकार करें।”

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 2 जंगल और जनकपुर

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 2 Summary

राम और लक्ष्मण को साथ लेकर विश्वामित्र सरयू नदी की ओर बढ़े। वे नदी के किनारे-किनारे चलते रहे। संध्या हो जाने पर वे बोले-हम आज रात नदी के किनारे पर ही विश्राम करेंगे। राम के निकट आने पर वे बोले-मैं आप लोगों को कुछ विद्याएँ सिखाना चाहता हूँ। इस विद्या के सीखने पर कोई तुम पर प्रहार नहीं कर सकेगा, तुम्हारी निद्रावस्था में भी नहीं। विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को ‘बला-अतिबला’ नाम की विद्याएँ सिखाईं। रात को नदी-किनारे आराम करने के बाद सुबह फिर यात्रा शुरू हो गई। चलते-चलते वे एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जहाँ दो नदियाँ आपस में मिलती थीं। संगम की दूसरी नदी गंगा थी। राम-लक्ष्मण विश्वामित्र की बातों को ध्यान से सुनते हुए ठीक उनके पीछे चल रहे थे। आगे की यात्रा और कठिन थी। विश्वामित्र ने रात्रि के समय नदी को पार करना ठीक नहीं समझा। संगम पर ही एक आश्रम में विश्राम करने के बाद सुबह उन्होंने नाव से गंगा पार की।

नदी के उस पार घना जंगल था। हर ओर झींगुरों की आवाज व जानवरों की दहाड़ सुनाई दे रही थी। विश्वामित्र ने बताया कि ये जानवर जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं। असली डर तो इस जंगल में रहने वाली ताड़का का है। वह अचानक आक्रमण करती है। उसके डर के कारण कोई जंगल में नहीं आता। तुम्हें इस खतरे को हमेशा के लिए मिटा देना है। राम ने विश्वामित्र की आज्ञा से धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर एक बाण खींचकर छोड़ दिया। ताड़का बिलबिलाती हुई आई। दो बालकों को देखकर उसका क्रोध और भी बढ़ गया। ताड़का उन पर पत्थर बरसाने लगी। राम का एक बाण ताड़का के हृदय में लगा। वह फिर दोबारा नहीं उठ पाई। विश्वामित्र बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने दोनों राजकुमारों को सौ-तरह के नए अस्त्र-शस्त्र दिए। महर्षि का आश्रम यहाँ से ज्यादा दूर नहीं था। अब ताड़का का भय भी नहीं था। रात्रि के समय उन्होंने वहीं विश्राम किया। सुबह होने पर वे आश्रम की ओर चले। आगे का रास्ता बहुत मनोहारी था। जंगल से भयानक आवाजें गायब हो चुकी थीं। प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए वे आश्रम में पहुंच गए। आश्रम-वासियों ने उनकी अगवानी की।

विश्वामित्र यज्ञ की तैयारी में लग गए थे। आश्रम की रक्षा की जिम्मेदारी राम-लक्ष्मण को सौंपकर विश्वामित्र आश्वस्त थे। कुछ ही दिनों में अनुष्ठान पूरा होने वाला था। जब अनुष्ठान का अंतिम दिन आया तो भयानक आवाजों से आकाश भर गया। सुबाहु और मारीच ने छल-बल के साथ आश्रम पर धावा बोल दिया। राम ने धनुष उठाकर मारीच पर निशाना लगाया। बाण लगते ही वह मूर्छित हो गया। जब उसे होश आया तो वह दक्षिण दिशा की ओर भाग गया। सुबाहु का एक बाण से ही प्राणान्त हो गया। मारीच के भागने व सुबाहु का वध होने पर राम ने विश्वामित्र से पूछा कि हमारे लिए क्या आज्ञा है? विश्वामित्र ने कहा कि हम यहाँ से विदेहराज जनक के दरबार में मिथिला जायेंगे। उनके पास एक अद्भुत शिव-धनुष है।

विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को साथ लेकर गौतम ऋषि के आश्रम से होते हुए मिथिला पहुँच गए। राजा जनक ने महल से बाहर आकर विश्वामित्र का स्वागत किया। जनक की दृष्टि जब राम-लक्ष्मण पर पड़ी तो वे बिना पूछे अपने को रोक नहीं पाए। विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण का परिचय दिया। एक सुंदर उद्यान में उनके ठहरने की व्यवस्था की गई। अगले दिन सभी आमंत्रित लोग यज्ञशाला में उपस्थित हुए। शिव-धनुष को भी यज्ञशाला में लाया गया। शिव-धनुष बहुत ही विशाल था। उसे पहियों के सहारे ही खिसकाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता था। राजा जनक ने विश्वामित्र से कहा कि मुनिवर, मैंने प्रतिज्ञा की है कि मैं अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ करूँगा जो इस धनुष को उठाकर इस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा। अनेक राजकुमारों ने यज्ञशाला में प्रयास किया, परन्तु कोई भी उस धनुष को हिला तक न सका। विश्वामित्र के कहने पर राम धनुष उठाने के लिए आगे बढ़े। उन्होंने बड़ी ही सहजता से धनुष को उठा लिया और बोले-“इसकी प्रत्यंचा चढ़ा दूं मुनिवर!” राम ने आसानी से प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए धनुष को झुकाया। दबाब से धनुष बीच में से टूट गया। महाराज जनक की खुशी का ठिकाना न था। सीता के लिए सुयोग्य वर मिल गया था। उन्होंने मुनिवर की आज्ञा से दशरथ के पास संदेश भिजवा दिया। दशरथ बारात लेकर जनकपुरी आ गए। धूम-धाम से सीता जी का विवाह संपन्न हुआ। जनक की इच्छा से उर्मिला का विवाह लक्ष्मण व उसके भाई की दोनों पुत्रियों-मांडवी और श्रुतकीर्ति का विवाह भरत व शत्रुघ्न के साथ हो गया। बहुओं को लेकर जब वे अयोध्या लौटे तो अयोध्या में आनंदोत्सव मनाया गया।

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Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 1 अवधपुरी में राम

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 1 Question Answers Summary अवधपुरी में राम

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 1

प्रश्न 1.
अयोध्या कैसी नगरी थी?
उत्तर:
सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्या बहुत ही सुंदर नगरी थी। वहाँ का राज-महल तो भव्य था ही, आम लोगों के घर भी बहुत सुंदर थे। अयोध्या में चौड़ी-चौड़ी सड़कें व सुंदर बाग-बगीचे थे। अयोध्या के कोने-कोने में संपन्नता बिखरी पड़ी थी, विपन्नता का कहीं नाम न था।

प्रश्न 2.
राजा दशरथ कैसे राजा थे?
उत्तर:
राजा दशरथ एक कुशल योद्धा व न्यायप्रिय शासक थे। वे रघुकुल की रीति एवं नीति का पूरी तरह पालन करते थे। वे मर्यादाओं का पालन करने वाले एक सदाचारी राजा थे।

प्रश्न 3.
राजा दशरथ की चिंता का क्या कारण था?
उत्तर:
राजा दशरथ वृद्धावस्था की ओर बढ़ते जा रहे थे। उनकी तीन रानियाँ थीं, परन्तु किसी रानी से भी कोई संतान न थी। इस कारण उन्हें अपना जीवन सूना-सूना सा लगता था।

प्रश्न 4.
राजा दशरथ महर्षि वशिष्ठ के पास क्यों गए? मुनि वशिष्ठ ने उनको क्या परामर्श दिया?
उत्तर:
दशरथ संतान न होने से चिंतित होकर परामर्श लेने के लिए मुनि वशिष्ठ के पास गए। वशिष्ठ ने उनको पुत्रेष्ठि यज्ञ करने की सलाह दी।

प्रश्न 5.
राजा दशरथ को संतान की प्राप्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर:
राजा दशरथ ने मुनि वशिष्ठ के परामर्श से तपस्वी ऋष्यशृंग की देखरेख में सरयू नदी के किनारे पुत्रेष्ठि यज्ञ किया। अग्नि-देवता ने प्रसन्न होने पर दशरथ को आशीर्वाद दिया जिसके फलस्वरूप दशरथ की तीनों रानियों के पुत्र उत्पन्न हुए। कौशल्या ने राम को, सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को तथा कैकेयी ने भरत को जन्म दिया।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 1 अवधपुरी में राम

प्रश्न 6.
चारों राजकुमारों की शिक्षा-दीक्षा किस प्रकार हुई?
उत्तर:
राजकुमारों के बड़े होने पर गुरु वशिष्ठ ने राजकुमारों की शिक्षा प्रारंभ की। वे उनको अपने साथ ले गए तथा शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही वे अयोध्या लौटे।

प्रश्न 7.
विश्वामित्र कौन थे? वे राजा दशरथ के पास किस प्रयोजन से आए थे?
उत्तर:
विश्वामित्र पहले एक राजा थे। बाद में राजपाट छोड़कर वे संन्यासी बन गए थे। वे सिद्धि के लिए एक यज्ञ कर रहे थे, परन्तु राक्षस बार-बाद उनके यज्ञ में बाधा डाल रहे थे। राक्षसों से यज्ञ की रक्षा हेतु वे राम को अपने साथ ले जाने के लिए राजा दशरथ के पास आए थे।

प्रश्न 8.
राजा दशरथ राम को विश्वामित्र के साथ भेजने में संकोच क्यों कर रहे थे?
उत्तर:
दशरथ को वृद्धावस्था में पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। वे राम से बहुत स्नेह करते थे। उनको लगता था कि वे राम के बिना नहीं रह सकेंगे। दूसरे, उनको यह डर था कि सोलह वर्ष का बालक मायावी राक्षसों से किस प्रकार यज्ञ की रक्षा कर सकेगा। किसी अनिष्ट की आशंका के कारण उनका मन व्यथित हो रहा था।

प्रश्न 9.
बात बिगड़ती देख वशिष्ठ ने राजा दशरथ को क्या समझाया?
उत्तर:
वशिष्ठ ने राजा दशरथ को उनकी प्रतिज्ञा एवं राम की शक्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आपको अपनी प्रतिज्ञा का पालन करना चाहिए। विश्वामित्र एक सिद्ध पुरुष हैं। वे अनेक गुप्त विद्याओं के ज्ञाता हैं। वे कुछ सोचकर ही यहाँ आए हैं। राम विश्वामित्र से नई विद्याएँ सीख सकेंगे। अतः वे राम को विश्वामित्र के साथ जाने दें।

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 1 अवधपुरी में राम

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 1 Summary

यह कथा अवध की है। सरयू नदी के किनारे बसे अवध को अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है। अयोध्या बहुत ही सुंदर नगरी थी। अयोध्या के राजमहल तो सुंदर थे ही, वहाँ आम लोगों के घर भी सुंदर थे। वहाँ चौड़ी-चौड़ी सड़कें व सुंदर बाग-बगीचे थे। अयोध्या हर तरह से संपन्न नगरी थी।

अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थी। दशरथ उस राज्य के राजा थे, जो बहुत बड़े योद्धा और कुशल प्रशासक थे। वे अज के पुत्र थे। रघुकुल के वंशज होने के कारण वे सभी लोक-मर्यादाओं का भली-भाँति पालन करते थे। राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं-कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। रानियों को केवल एक ही दुःख था कि उनकी कोई संतान न थी। राजा दशरथ की उम्र बढ़ती जा रही थी। दशरथ भी इस कारण बहुत चिंतित रहते थे। उन्होंने मुनि वशिष्ठ से इस विषय में बात की। मुनि ने उनको पुत्रेष्ठि यज्ञ करने की सलाह दी। तपस्वी ऋष्यशृंग की देखरेख में सरयू नदी के किनारे यज्ञ प्रारंभ हुआ। यज्ञ की अंतिम आहुति राजा दशरथ द्वारा दी गई। यज्ञ के प्रभाव से अग्निदेवता प्रकट हुए और उन्होंने दशरथ को आशीर्वाद दिया। उनके आशीर्वाद से तीनों रानियाँ गर्भवती हो गईं। महारानी कौशल्या ने राम, सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न व कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। नगर में राजा ने बहुत बड़े समारोह का आयोजन किया।

चारों राजकुमार धीरे-धीरे बड़े हुए। उन चारों भाइयों में बहुत गहरा प्रेम था। बड़े होने पर चारों राजकुमारों को मुनि वशिष्ठ के पास शिक्षा-दीक्षा के लिए भेजा गया। जल्दी ही वे चारों सभी विद्याओं में पारंगत हो गए। राम में अन्य गुण भी थे। राम दशरथ को सबसे प्रिय थे। शिक्षा-दीक्षा के बाद इन चारों राजुकमारों के विवाह की चर्चा चलने लगी। पुरोहितों को भी इस चर्चा में शामिल किया गया। एक दिन द्वारपाल घबराता हुआ आया कि ऋषि विश्वामित्र पधारे हैं। महाराज दशरथ उनके सम्मान में तत्काल अपना आसन छोड़कर खड़े हो गए। दशरथ ने विश्वामित्र की सेवा करने के बाद पूछा कि मुझे आज्ञा दें, मैं और क्या सेवा करूँ? विश्वामित्र ने कहा-मैं सिद्धि के लिए यज्ञ कर रहा हूँ। राक्षस मेरे यज्ञ में बाधा डाल रहे हैं, अतः यज्ञ की रक्षा के लिए आप अपने ज्येष्ठ पुत्र को मुझे दें। यह सुनकर दशरथ पर तो मानो बिजली गिर गई। वे मूर्छित होकर गिर पड़े। यह देखकर विश्वामित्र का क्रोध बढ़ता जा रहा था। दशरथ कहने लगे-हे महामुनि! मेरा राम तो अभी सोलह वर्ष का भी नहीं हुआ। वह राक्षसों का सामना कैसे करेगा? आप कहें तो मैं आपके साथ चलता हूँ।

दशरथ की इस प्रकार की बातें सुनकर विश्वामित्र का क्रोध भड़क उठा। वे दशरथ से बोले कि आप रघुकुल की रीति तोड़ रहे हैं। यदि आप राम को मेरे साथ नहीं भेजते तो मैं यहाँ से खाली हाथ लौट जाऊँगा। बात बढ़ती देख मुनि वशिष्ठ ने आगे आकर दशरथ को समझाया और बताया कि विश्वामित्र के साथ रहने में राम का बहुत बड़ा लाभ है। वशिष्ठ की बातों को सुनकर दशरथ की चिंता कम हुई।

दशरथ ने मुनि वशिष्ठ की बातों को दुःखी मन से स्वीकार कर लिया। वे राम को अकेले नहीं भेजना चाहते थे। अतः उन्होंने लक्ष्मण को भी राम के साथ भेजने की विनती विश्वामित्र से की। राम और लक्ष्मण को तत्काल दरबार में बुलाकर विश्वामित्र के साथ जाने का निर्णय सुनाया। दोनों भाई सहर्ष उनके साथ जाने को तैयार हो गए। दोनों भाई नितान्त गंभीर माहौल में माताओं की आज्ञा लेकर यज्ञ की रक्षा हेतु विश्वामित्र के साथ चल पड़े।

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NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit

NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Bhag 1 | Class 6th Sanskrit Solution

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NCERT Solutions of Class 6th Sanskrit रुचिरा भाग 1 | Sanskrit Class 6 NCERT Solutions

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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 17 साँस-साँस में बाँस

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साँस-साँस में बाँस NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 17

Class 6 Hindi Chapter 17 साँस-साँस में बाँस Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत के किन राज्यों में बाँस सबसे अधिक होता है ?
उत्तर:
भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में बाँस सबसे अधिक पैदा होता है। नागालैंड के लोग तो बाँस से विभिन्न वस्तुएँ बनाने में उस्ताद हैं।

प्रश्न 2.
जादूगर चंग की चंगलनवा की कब्र के साथ क्या किस्सा जुड़ा है।
उत्तर:
एक जादूगर थे चंग की चंगलनवा। अपने जीवन में उन्होंने कई बड़े-बड़े करतब दिखलाए। जब मरने को हुए तो लोगों से बोले, “मुझे दफनाए जाने के छठे दिन मेरी कब्र खोदकर देखोगे तो कुछ नया-सा पाओगे।”

कहा जाता है कहे मुताबिक मौत के छठे दिन उनकी कब्र खोदी गई और उसमें से निकले बाँस की टोकरियों के कई सारे डिज़ाइन। लोगों ने उन्हें देखा, पहले उनकी नकल की और फिर नई डिजायनें भी बनाईं।

प्रश्न 3.
बाँस से क्या-क्या चीज़ों का निर्माण होता है ?
उत्तर:
बाँस के द्वारा डलियानुमा टोकरियाँ, चटाइयाँ, टोपियाँ, बरतन, बैलगाड़ियाँ, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल, मकान, पुल और भी न जाने कितनी चीजें बनाई जाती हैं।

प्रश्न 4.
बाँस की वस्तुएँ बनाने के लिए लोग जंगल से किस प्रकार के बाँस इकट्ठा करते हैं ?
उत्तर:
बाँस की वस्तुएँ बनाने के लिए लोग एक साल से तीन साल तक के बाँस को काटते हैं। इस अवधि का बाँस थोड़ा नरम होता है। अधिक उम्र के बाँस सख्त होते हैं और जल्दी टूट जाते हैं। जुलाई से अक्टूबर के बीच घमासान बारिश के समय लोग बाँस इकट्ठा करते हैं। यह समय खाली होता है।

प्रश्न 5.
बाँस की खपच्चियाँ कैसी होती हैं व किस प्रकार तैयार की जाती हैं ?
उत्तर:
बाँस की खपच्चियाँ आधा इंच तक चौड़ी होती हैं। इससे अधिक चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं। खपच्चियों को चीरकर उन्हें चिकना किया जाता है तभी उनसे टोकरी बनाई जाती है।

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 17 साँस-साँस में बाँस

प्रश्न 6.
खपच्चियों को किस प्रकार से रंगा जाता है ?
उत्तर:
खपच्चियों की रंगाई गुड़हल के फूलों व इमली की पत्तियों आदि के रस से रंगी जाती हैं। काले रंग के लिए खपच्चियों को आम की छाल में लपेटकर मिट्टी में दबाकर रखा जाता है।

प्रश्न 7.
बाँस की खपच्चियों से बुनाई किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर:
बाँस की बुनाई वैसे ही होती है जैसे कोई और बुनाई। पहले खपच्चियों को आड़ा-तिरछा रखा जाता है। फिर बाने को बारी-बारी से ताने के ऊपर-नीचे किया जाता है। इससे चेक का डिज़ाइन बनता है। पलंग की निवाड़ की बुनाई की तरह। टोकरी के सिरे पर खपच्चियों को या तो चोटी की तरह गूंथ लिया जाता है या फिर कटे सिरों को नीचे की ओर मोड़कर फँसा दिया जाता है।

साँस-साँस में बाँस Summary

पाठ का परिचय

बाँस का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। जिस क्षेत्र में बाँस उत्पन्न होता है वहाँ के लोगों के लिए तो बाँस जीवन यापन का एक साधन होता है। बाँस से कितनी ही उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। बाँस भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्पन्न होता है भारत के उत्तर- पूर्व के राज्यों में बाँस बहुत होता है। वहाँ बाँस की अनेक चीजें बनाने का चलन है। हर समुदाय के लिए बाँस रोजी-रोटी का साधन हैं। नागालैंड के निवासी तो बाँस के विभिन्न प्रयोग करने में बहुत चतुर हैं। जब से इंसान कलात्मक चीजें बना रहा है तभी से ही बाँस की भी चीजें बन रही हैं, जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव आते रहे हैं। बाँस का सफर चाहे तो बया के घोंसले को देखकर हुआ हो या चंग की चंगलनवा की कब्र से परन्तु वहाँ के लोग बाँस की चीजें बनाने में बड़े माहिर हैं।

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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 वन के मार्ग में

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वन के मार्ग में NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16

Class 6 Hindi Chapter 16 वन के मार्ग में Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है ?
उत्तर:
प्रथम सवैया में कवि ने श्रीराम व सीता के अयोध्या से निकलकर वन गमन का वर्णन किया है।

प्रश्न 2.
वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखो।
उत्तर:
सीता वन के मार्ग पर थोड़ी दूर ही चली थीं कि उनके चेहरे पर पसीने की बूंदें छलछलाने लगीं। उनके कोमल होंठ सूख गए। अपने कोमल पैरों से सीता को चलना मुश्किल हो रहा था। उनको इतनी थकावट हो गई थी मानो बहुत लम्बा मार्ग तय कर लिया हो।

प्रश्न 3.
सीता की आतुरता देखकर राम की क्या प्रतिक्रिया होती है ?
उत्तर:
रामचंद्र जी समझ जाते हैं कि सीता थक गई है और वह सीधे न कहकर मेरी सेवा के बहाने विश्राम करना चाहती है। इसलिए राम बैठकर काफी देर तक अपने पैरों से काँटे निकालते रहते हैं।

प्रश्न 4.
राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे ?
उत्तर:
राम बैठकर इसलिए काँटे निकालते रहे जिससे की सीता अधिक देर तक विश्राम कर ले क्योंकि सीता को पैदल चलने का अभ्यास नहीं था।

प्रश्न 5.
सवैया के आधार पर बताओ कि दो कदम चलने के बाद सीता का ऐसा हाल क्यों हुआ ?
उत्तर:
सीता राजमहलों में पली थी। बिना वाहन के वे कहीं भी न जाती थी। अब उनको वन के कठोर रास्ते पर चलना पड़ रहा था इसलिए चलने का अभ्यास न होने के कारण थोड़ी दूर चलकर ही सीता थक गई।

प्रश्न 6.
‘धरि धीर दए’ का आशय क्या है ?
उत्तर:
‘धरि धीए दए’ का आशय है कि सीता धैर्य धारण करके वन के मार्ग में चलने लगी क्योंकि इससे पहले वह कभी इस तरह नहीं चली थी।

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 वन के मार्ग में

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अपनी कल्पना से वन मार्ग का वर्णन करो।
उत्तर:
राम और सीता अयोध्या से निकलकर वन के रास्ते जा रहे थे तो रास्ते में दोनों ओर बड़े-बड़े पेड़ थे। लक्ष्मण भी उनके साथ चल रहे थे। वन का मार्ग ऊबड़-खाबड़ व पथरीला था। आस-पास कहीं पीने का पानी भी नहीं था। ऊपर से गर्मी बहुत पड़ रही थी। चलते समय थोड़ी देर में ही शरीर पसीने से लथपथ हो गया। वन मार्ग काँटों से युक्त था। जगह-जगह काँटेदार पेड़ पौधे भी थे। इस कारण उनके पैरों में भी काँटे चुभ गए थे। रास्ते में कई छोटे-छोटे गाँव भी पड़ते थे। गाँव के लोग इन सुकुमार राजकुमारों को वन मार्ग से जाते हुए देखकर आश्चर्यचकित हो रहे थे। साथ ही उनको दुःख भी था कि किस प्रकार ये इस कठोर रास्ते से आगे जाएंगे।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
लखि – देखकर, धरि – रखकर
पोंछि – पोंछकर, जानि – जानकर
ऊपर लिखे शब्दों और उनके अर्थ को ध्यान से देखो। हिंदी में जिस उद्देश्य के लिए हम क्रिया में ‘कर’ जोड़ते हैं, उसी के लिए अवधी में क्रिया में ि (इ) को जोड़ा जाता है, जैसे अवधी में बैठ + ि = बैठि और हिंदी में बैठ + कर = बैठकर। तुम्हारी भाषा या बोली में क्या होता है ? अपनी भाषा के ऐसे छह शब्द लिखो। उन्हें ध्यान से देखो और कक्षा में बताओ।
उत्तर:
हमारी बोली में कुछ इस प्रकार के शब्द प्रयोग होते हैं :
उधर – उंघ
किधर – किंघ,
इधर – इंघ/उरअ,
जागना – जागणा,
रोना-धोना – रोणा-धोणा,
कौन-सा – कौण-सा

सवैयों की सप्रसंग व्याख्या

(1) पुर ते निकसी रघुवीर-वधु, धरि धीर दये पग में डग द्वै।
झलकी भरी भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै।।
फिर बुझती है “चलनो अब केतिक, पर्न कुटी करि हौ कित हवै?”
तिय की लखि आतुरता पिय की अंखिया अति चारू चली जलच्च।।

शब्दार्थ: पुर – नगर, ते – से, निकसीं – निकली, दए – दिये/रखे, डग – पंग, कदम, द्वै – दो, भरि भाल – मस्तक पर, कनी – बूंद, अल्प बिन्दु,, मधुरा-धर – कोमल होंठ, बूझति – पूछती हैं, केतिक – कितनी, पर्नकुटी – पर्णकुटी, पत्ते की झोंपड़ी, कित है – कहाँ पर, आतुरता – व्याकुलता, च्वै – चूने लगा, प्रवाहित होना, वधू – बहू, धरि – धारण किए, धरि – धारण किए, मग – रास्ता, धीर – धैर्य, झलक – दिखाई दी, मग – रास्ता, पुट – होंट, चारू – सुंदर

प्रसंग- प्रस्तुत ‘सवैया’ हमारी पाठ्य-पुस्तक भारती भाग-1 में संकलित ‘वन के मार्ग से’ लिया गया है। जिसके कवि तुलसीदास जी हैं।प्रस्तुत छन्द में सीता जी की वन-मार्ग में चलने से उत्पन्न व्याकुलता और परेशानी को व्यक्त किया गया है। जब रामचन्द्र जी ने अपनी प्रिया की व्याकुलता देखी तो उनके नेत्रों से भी आँसू बहने लगे।

व्याख्या- तुलसीदास जी कहते हैं कि रामचन्द्र जी की धर्मपत्नी सीता जी ने जैसे ही नगर (अयोध्या) से निकलकर आगे के मार्ग में धैर्य धारण करके दो कदम रखे-अर्थात् थोड़ा सा चलीं वैसे ही उनके कोमल-कोमल ओंठ-सूख गये और उनके मस्तक पर पसीने की बूंदें झलकने लगीं। भाव यह है कि सदैव महलों में रहने वाली उन जानकी को थोड़ा-सा चलने पर ही परेशानी अनुभव होने लगी। उनके ओंठ सूख गये और माथे पर श्रम-बिन्दु झलक आए, मानो वे बहुत लम्बा मार्ग तय कर चुकी हों। तुलसीदास सीता जी की व्याकुलता को प्रकट करते हुए कहते हैं कि थोड़ी-सी दूर चलने पर सीता जी अपने पति रामचन्द्र जी से पूछने लगी कि हे स्वामी! अभी आप कितना और चलना चाहते हैं तथा कहाँ जाकर पर्णकुटी (निवास-स्थान) बनाओगे अर्थात् मैं तो अब चलते-चलते थक गई हूँ और अब विश्राम करना चाहती हूँ। इसलिए आप बता दीजिये कि अब आप कितना और चलकर झोंपड़ी बनाएंगे ? जब श्री रामचन्द्र जी ने अपनी प्रिया सीता जी की इस व्याकुलता को देखा तो उनकी सुन्दर आँखें आँसुओं से भर आयीं और उनसे अश्रु बिन्दु टपकने लगे।

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 वन के मार्ग में

(2) “जल को गए लक्खन है लरिका, परिखौ, पिय। छाँह घरीक हवै ठाढ़े।
पोछि पसेउ बयारि करौ, अरू पायँ पखारि हौ भुभुरि डाढ़े”॥
तुलसी रघुवीर प्रिया रुम जानि के बैठि बिलंब लौ कंटक काढ़े ॥
जानकी नाह को नेह लख्यों, पुलको तनु, बारि वलोचन बाढ़े।।

शब्दार्थ : लरिका – बालक, परिखौ – प्रतीक्षा करो, घरीक – एक घड़ी, थोड़ी देर, पसेउ – (प्रस्वेद) पसीना, बयारि करौं – हवा करूँ, पखारिहौं – धोऊँगी, भूभुरी – गर्म-धूल, जलता हुआ रेत, काढ़े – निकाले, नाह को – (नाथ का), स्वामी का, लख्यो – देखा, पुलको – पुलकित हो गया, प्रसन्न हो गया, विलोचन – आँखों में

प्रसंग- वन मार्ग में चलते हुए जब सीता जी चलते-चलते थकने लगीं तो अपनी थकान छिपाकर लक्ष्मण जी को पानी लाने और प्रिय की थकान को लेकर विश्राम करने का आग्रह करती हैं। प्रभु सीता के मन की बात जानकर देर तक अपने पैरों के काँटे निकालते रहे।

व्याख्या- तुलसीदास जी कहते हैं कि जानकी जी अपने प्रिय रामचन्द्र जी से कहने लगी कि हे प्रभु! जब तक बालक लक्ष्मण जल लेने गये हैं और वे आ नहीं जाते, तब तक आप उनकी प्रतीक्षा कर लो और एक घड़ी छाया में खड़े हो जाओ अर्थात् जब तक लक्ष्मण जी जल लेकर आयें तब तक आप वृक्षों की छाया में खड़े होकर उनकी बाट जोह लो। चूँकि बहुत थक चुके हो, इसीलिए मैं आपके पसीने को पौंछकर आपकी हवा कर दूंगी और आपके चरण जो गर्म धूल में चलने के कारण झुलस गए हैं उन्हें धो दूंगी।

तुलसीदास जी कहते हैं कि रामचन्द्र जी ने अपनी प्रिया की थकावट को समझ लिया और बड़ी देर तक अपने पैरों से काँटे निकालते रहे अर्थात् रामचन्द्र जी ने समझ लिया कि सीता जी थक गयीं हैं। इसी से वे सीधे न कहकर मेरी सेवा के बहाने विश्राम करना चाहती हैं। अतएव उन्होंने सीता जी को विश्राम देने की दृष्टि से काँटे निकालने का बहाना किया और देर तक चुप बैठे रहे। जब सीता जी ने अपने स्वामी का अपने प्रति इतना प्रेम देखा तो उनका शरीर पुलकित हो गया और नेत्रों से प्रेम के आँसू पिरने लगे।

वन के मार्ग में Summary

पाठ का सार

दूसरे सवैये में सीता जी चलते-चलते अपनी थकान छिपाकर लक्ष्मण जी को पानी लाने के लिए भेजती हैं और सम की थकान को लेकर विश्राम करने की सलाह देती हैं। श्री राम सीता के मन की बात समझकर देर तक अपने पैरों से काँटे निकालते रहते हैं।

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